कितणो निबळो है

ईं नूंई हेली रो अंतस

निजर सूं बचण सारू

अेक काळी हांडकी री

ओट लियां खड़ी है।

स्रोत
  • सिरजक : विनोद स्वामी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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