बांवरियो बण जिन्दगाणी में, जीणो भी के जीणो है।

तणियां ताण जरा सो गुटको, पीणो भी के पीणो है॥

खुद सूं बलळातां घबरावै, खुद सूं ही खुद डर्‌यो फिरै,

गळी सांकड़ी सामी गोदो, घूम जीवड़ा परै-परै,

मन हीणो है तो जाणूं, पण इतरो के हीणो है।

तणियां ताण जरा सो गुटको, पीणो भी के पीणो है॥

समरथ सामी लूळ कै बोले, हीणै सूं अळबादद करै,

लखणां रा लाडेसर मत ना, मिनख जूण बरबाद करै,

काण कायदो राक गांव तो, सगळो ही साखीणो है।

तणियां ताण जरा सो गुटको, पीणो भी के पीणो है।

घर घूल्या-सा ठाँव-ठाँव रा, ठोड़ ठांयचा रैया कठै,

गळगचियां री ओट बाटियां, छोड़ भायला गया कठै,

रोटी पर चटणी मिरच्यां को, धीणो भी के धीणो है।

तणियां ताण जरा सो गुटको, पीणो भी के पीणो है॥

कुण सा गीत गळ्यां गावण रा, कुण सा मंचा बीच जमै,

गीतां मांही रमज्या ‘भागी’, इण बातां में मत भरमै,

गीतकार सो लाग यार तूं, लागै जैयां कमीणो है।

तणियां ताण जरा सो गुटको, पीणो भी के पीणो है॥

बांवरियो बण जिन्दगाणी में, जीणो भी के जीणो है।

तणियां ताण जरा सो गुटको, पीणो भी के पीणो है॥

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो ,
  • सिरजक : भागीरथसिंह भाग्य ,
  • संपादक : नागराज शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिणजारो प्रकाशक पिलानी (राज.) ,
  • संस्करण : 26
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