ओ देस कठी नै जार्यो है।
नहीं भेद रामजी पार्यो है॥
बोलण-चालण का सू'र नहीं।
तन ऊपर ढंग का पूर नहीं॥
आ होठां सूं रंगरेजां सी।
आ बोली सूं अंगरेजां सी॥
पण आंख्यां काजळ सार्यो है।
ओ देस कठी नै जार्यो है॥
हाथां सुहाग की चूड़ी ना।
पग मैं बाजै बिछूड़ी ना॥
काळी नागण सा बाळ कठै?
माथै सिंदूरी टाळ कठै?
तन घाबां बारै आर्यो है।
ओ देस कठी नै जार्यो है॥
आ धक्का-मुक्की गाड्यां की।
आ खिंची लूगड़ी लाड्यां की॥
अै लड़ै लुगायां टूंट्यां पर।
अै सरम टांक दी खूंट्यां पर॥
घरधणी घूंघटो सार्यो है।
ओ देस कठी नै जार्यो है॥
बा सीता की सी लाज कठै।
बो रामराज सो राज कठै॥
पन्ना धायण सो त्याग कठै।
बा तानसेन सी राग कठै॥
ओ फिलमी गाणां गार्यो है।
ओ देस कठी नै जार्यो है॥
अै दूंचै पूत जणीतां नै।
आ बाड़ चाटगी खेतां नै॥
असमत लुट'री थाणै में।
झै'र दवाई खाणै में॥
ओ हाथ, हाथ नै खार्यो है।
ओ देस कठी नै जार्यो है॥
छोरा-छोर्यां को मिट्यो भेद ।
रद्दी कै सागै बिक्यो वेद ॥
डिसको को रोग चल्यो भारी।
डिसको राजा अर दरबारी॥
आंख्यां पर जाळो छार्यो है।
ओ देस कठी नै जार्यो है॥
के हाल कहूं गुरु-चेलै का।
लक्खण आं में नहीं धेलै का॥
अै साथ मरै अर साथ जिवै।
बोतल अर बीड़ी साथ पिवै॥
खेतां में तीतर मार्यो है।
ओ देस कठी नै जार्यो है॥
धोळै दोपारां डाको है।
ओ लूंठाई को हाको है॥
झूठै कोलां को खाको है ।
फाट्यै घाबै में टांको है॥
ओ मिनखपणै नै खार्यो है ।
ओ देस कठी नै जार्यो है ॥