जद सूं-कोरोना पग पसार्‌या

लोग शहरां सूं जावण लाग्या

भूल्योड़ा गांव याद आवण लाग्या।

म्हारो गांव-म्हारो आंगणो

राजी-राजी हंसता-खेलता

बालपणां रा दिन बीतावणो,

साफ-सुथरी हवा ही,

सौ रोगां री अेक दवा ही

निरोग राखती रूंखां री छांव

म्हारो गांव...।

स्हैर-दर-स्हैर

लॉकडाउन रो सख्ती सूं पालन,

नीं बरतणी ढिलाई,

मास्क पहरणो,

दो गज दूरी-घणी जरूरी,

अर बार-बार

साबुण सूं हाथ धोवणो

घणो जरूरी होयग्यो म्हारा भाई...।

बंद हुयग्या सगळा आयोजन

मेल-मिलाप

जठा तांई घरां मांयने रैवोगा

सुरक्षित रैवोगा आप।

सर्वे करणिया

घर-घर आवण लाग्या,

खांसी बुखार, जुकाम ने भी

गम्भीर मान’र तुरत-फुरत

डागदर ने दिखावण लाग्या,

सड़कां पे बिना मास्क

गैर जरूरी काम सूं जावणियां पे

जुर्मानो लगावण लाग्या।

स्हरां सूं बावड़ता

आपणां गांवां मांय आवता

नुंवा वातावरण ने अपणावता

जात-धरम विचारधारा सूं

ऊपरे उठ’र

मिनख धरम निभावता,

समाज रा हरेक सदस्य रे मन मांय

आमजन सारू कल्याण रा भाव

आपूं आप जगावता,

मिनख-मानवी री सेवा करता

सगळा ने सागै लेवता

राहत-मदद पुगावण लाग्या।

सगळा जाणग्या—

बगत मानवता रो धरम

निभावण रो है

कोरोना रा लपेटां में आयां रो

इलाज करावण रो है

जान बचावण रो है।

जिणां रे वास्ते

कोरोना बणग्यो सूल

उठग्यो मां-बाप रो सायो,

बालपणो होयग्यो बेसहारा

गमगी खुशियां री चलक

छायग्यो गमां रो अन्धारो

उणां ने—

मुरझावण सूं रोकणो पड़ेगा

फफक-फफक’र रोवंता रा

आंसुवां ने पूंछ’र

बसासता आगलो आधार

बणावणो पड़ेगा।

आपां-सगळा जिम्मेदारी निभावांगा

कांई स्हैर, कांई गांव

सगळी ठौड़ सूं

बदबू-घुटण वाळी

कोरोना की धुन्ध ने हटावांगा,

गांवां मांय भी—

खुसहाळी वाळी

साफ-सुथरी छांव ने

फैरूं पनपावांगा

खुद जागरूक रैवांगा

अर परिवार समाज मांय

सबने जागरूक बणावांगा।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत (अप्रैल-जुलाई 2021) ,
  • सिरजक : रमेश ‘मयंक’ ,
  • संपादक : शिवराज छंगाणी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर
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