(1)
काळ पड़ै जिण कूंट, समै री गरज न सरसी।
थोथौ बादळ थूळ, कदे बरसात न करसी।
ठूंठ किरी रो ठूळ, लोच भिद कदे न लेसी।
नुगरौ काळौ नाग, दूध पी झाटां देसी।
वांझड़ी धेन व्यावै नहीं, आवै सेढ़ न आंगळी।
नीं चढ़ै भलाई नीच पर, काळै ऊपर रंग कळी।।
(2)
वणै काग सूं वींट, मुदै बीछू डंक मारै।
कुत्ते री करतूत, मूतसी घड़ां मझारै।
बोदौ काचर बीज, मणांबंध दूध विधूसै।
जोवै नीं पय जोंक, चिपी थण लोही चूसै।
अहसांन भूल बदळै अधम, कुटळ दिवाळौ काढ़ दै।
कुलखणौ मिनख ने क्वाड़ियौ, वणावै ज्यांरा पग वाढ़ दै।।