अंधारपख रै
सियाळै री लंबी रात
भिजेड़ी काम्बळ दांई
मन्नै घणी भारी लागै
अर
म्हारै अंतस मांय
जगावै अमूज।
काळूंस सूं लदड़-पदड़ हुयोड़ी
इण रात मांय सुपनां री मोरपांख
पगलिया करै अर
उडीकै सूरज रै घोड़ै नैं।
बिछावूं
पलक-पांवडा
सूरज री पैली किरणां
निरखण सारू
अर इणी भरोसै
बितावूं आखी रात
अर हिचकूं
इण
काळी-कुसूणी
सुरंग सूं
बारै
आवण तांईं।