पैली प्रीत
नीं भूलीजै
अेक- अेक पल-छिन
अेक- अेक दिन
बीत्यौ
अेक-अेक बरस ज्यूं।
बात पुराणी होयगी
पण अजै
साव नुंवी है
म्हारी प्रीत
जाणै आज री
इण सायत री
भलाईं नीं दरसायी
थांरै सांम्ही इणनै
पण है म्हनै
पूरौ पतियारौ
कै थे जद ई जाणता
म्हारै मन री बात
अर आज ई जाणौ।
थां भलाईं मत कैवौ
पण थांरा
मिरग री गळांई मुळकता
डाबर नैण
सै कीं कैय देवै
म्हनै,
अर म्हैं सहज सुणलूं
थांरै नैणां रा
अणबोल्या बोल।