जुगां री जोत रूप री रास

मिनख रै सपनां रो सिणगार

झुरै है रंग री महफिल बीच

माड़ेची मूमल थारै लार

जुगां रो धरती है रैवास

जिकण में रूप रंग नै राग

आपरै मझ जोबन ऊफाण

चढंतां ऊतरिया दिन लाग

पण कोई मूमल थारै रूप

मिनख रै हियै घालियो हाथ

मरग्या माणस करै बखाण

अमर है थारी रंग-भर रात

फूल्यो किण बाड़ी में फूल

हिये किण सजियो कंवळै हार,

भटकै भंवरा आज अधीर

राग नै सौरम रै मझदार

राग री पांख्यां लागी रूप

उडी जद जुग रा अंबर चीर

करोड़ां कंठां कियो रैवास

अलेखां हिवड़ां री थूं पीड़

जदे लग बन में बासग नाग

बाड़ियां चंपो, दाड़म, दाख

लुळकती कंवळी केळू-कांब

जकां री भरै सूवटा साख

जदे लग हिंगळू हाटां मांय

मिनख रै कंठ हियो अर नैण

तदे लग कर-कर मूमल कोड

सांईणी-झुरसी थारा सैण

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के कवि ,
  • सिरजक : नारायणसिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर ,
  • संस्करण : तीसरा
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