हिंदी अंग्रेजी रै

फेर में

चितबांगी हुयौड़ी

मरुथळ री संस्कृति,

मानता रै अभाव में

आपौ नाखती,

बैसाख्यां

रै आसरे हालती

डगमगाती

मायड़ भाषा

मोत्यां सूं मूंगै साहित

अर जूनी ओळ्यां रौ

अरथ खोती मायड़

रीत रिवाज सूं

अणजाण

धीमौ पड़तो भासा रौ पोखण

धुंधळौ पड़तौ

समाज रो दरपण दरसण

नुंई पीढी में

इतिहास रै आचार-विचार रौ

अग्यान

अर रीत नीत रै परिवेस में

भैळप

मायड़ री खरी चूंदड़ी नै

बिसराय'र

अंग्रेजी रौ स्कार्फ ओढ़ा'र

मरुथळ री परम्परावां

अर संस्कृति

रै गुमेज नै

घणी ठेस पहुंचाई है

आंकी-बांकी संस्कृति

भासा री घोळ मथोळ

ठेठ रा राजस्थानी

दरस-दरसाव

नै घणौ लजायौ है।

स्रोत
  • सिरजक : प्रमिला चारण ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै