कट कट'र
सीस पड़ण लाग्या
धरती माथै
खेजड़ो बढ्यो नी एक
सीस ही बढ्या,
एक नयो खेत
खेजड़ली हुग्यो
कुरुक्षेत्र
महाभारत मचग्यो
पण कोरू ही लड्या
नीं पांडु लड्या
है धरम जुद्ध तो
लड्या गया धरती माथै,
ओ नयो नईं हो
इण सूं पै'लां, कई
पण एकानी रा
सैनिक अठै निहत्था हा
वां मरणो मांड्यो फकत
मारणो, नईं।
'पाहळ' ही अठै
अहिंसा री
पर-पिंड पोखण री
पाहळ लड़ी अठै
जद जीव दया री
पाहळ ही
तो जीव-जीव स्सै एक
भलांई दुस्मण हो
दुस्मण भी लाई,
बिना जीव रै कठै?
इणने कैवै है
महाजुद्ध
एकानी आयुध है
दूजै कानी बुध
अर विवेक;
है ज्ञान
गुरु रो दियो
हियो निरमळ
सरधा, भगती
दोनूं है एकमेक।
इण कारण है
सैंसारी करजदार म्हारी
म्हे बांट्यो भोत
ज्ञान रो घट कोनी रीत्यो
म्हे कर’र
बतावण री भासा
बोला हां जद बोलां
म्हे प्राण दे’र
पूछां हां कुण जीत्यो?
मंत्री दिन्धो आदेस
फौज रै मुखिया नै
अब बाढ़ौ रूंख
सैन्य संचलाण करो
आगै सूं भी
ज्यूं री त्यूं एक आवाज उठी
उठ्ठो वीरो
पाहळ रो पालण करो!
इन्नै कारिंदा बध्या
कुंवाड़ा हाथ लिया
लीलै रूंखां नै घावण री खातर
उन्नै सूरा
ले आण बध्या आगै
रूंखां सूं पै’लां
सीस कटावण री खातर।
एक-एक रूंख रै
एक-एक
दो-दो लिपट्या
बांथां मैं रूंख नईं लिन्धा
ज्यूं मीत लिया
देवता लिया
हरियाळी ली
फूल लिया
निज री डावडियां रै
सावण रा गीत लिया।
बांथां मैं
चैचाट भर्यो चिड़ियां रो
बांथां मैं
मोरां रो नाच भर्यो
बांथां मैं भर लिन्धा जाग्यौ जी
बांथां मैं वांरी वाणी रो साच भर्यो
भर लिन्धी
प्राण बान बांथां मैं
बांथां मैं पुहमी रो भविस भर्यो
मेह भर्यो;
बध’र
सुकाळ भर्यो बांथां मैं
नाज भर्यो
नीर भर्यो
नेह भर्यो।
बांथां मैं भूगोल भर्यो
प्रकृति भरी
जीवण री दिपति भरी
नट, नाळा, सर
भरिया बांथां मैं
इन्द्र भर्यो
तिरसां नै त्रिपति भरी।
सामैं सूं एक सबद सुर गूंज्यो
गूंजी धरती
साथै अंबर गूंज्यो।
स्सै सूं पै’लां
'अणदो जी' वीर कर्यो तागो;
भाज्या
अर भाज'र खेजड़लै रे बांथ भरी
सिर टिका गाछ री छाती माथै
सैन करी
बोल्या, आओ!
हथियार चलाओ, निरभागो।
कारिन्दो बाह्यां खड्यो रैयो
कुंवांड़ै नै
पण इतणै मैं ही
दुस्ट एक तलवार खींच
अर बध्यो
इसारो पा’र नीच महामंत्री रो
अर 'अणदै' भगत
रगत सूं दिन्धो बिरछ सींच।
अणदोजी लारै चाचो जी
निज सीस दियो ले विष्णू नाम
उणरे लारै 'उदोजी' भी
ज्यू रा त्यूं पहुंच्या सुरग धाम।
'कान्होजी' एक जाळ हेठै
हो निज रो धरम धाम थरप्यो
किसनोजी एक रोहिडै री
खातर निज रो जीवण अरप्यो।