(1)

थारौ होवणौ

निरोगी काया थारी
परसी ही जकी प्रीत
म्हैं उणरौ काचौ फळ
अब पाकण ढूकौ हूं मां!

लोग कैवै—
म्हैं म्हारी पचासी उमर में
तीसी जैड़ा पळका मारूं
लोग पूछै—
अैड़ा कांई जतन करूं डील रा?

म्हारै नजीक
सदीनौ अेक ईज पड़ूत्तर
म्हारी मां जीवै...
अजेस म्हारी मां जीवै...!

(2)

थारी कीमिया

ओ बेथाग बगतौ बायरौ
नीं पुगाय सकै
थारै सिकड़ता फेफड़ां लग
अेक चिमटी ऑक्सीजन मां!
इण अपरबळी चिकित्सा-विज्ञान
अर रुपियां सूं भरिया म्हारा गूंजा रौ
कीं जोर नीं चालै मां!

म्हैं किण बजार
किण हाट मोलावूं
थारी वा कीमिया
जकी चाटती थकी आपरी जीभ सूं
मेट दिया करती ही
म्हारै पेट रौ दूखणौ

(3)

थारा फूल

मरियां पछै नीं
थारै जींवता-जी ई चुगणा चाऊ थारा फूल
देखलै अे म्हैं उठाय लीनी थारी पगथळियां
धर लीन्ही म्हारी आंख्यां रै माथै

ले, अै म्हैं उठाय लीन्हा थारा हाथ
लुकोय लीन्हा म्हारी आतमा रै बुगचै में

ले आ म्हैं
बिखेर दीन्ही थारी भसमी
बिसर्योड़ी म्हारी ओळ्यूं रै कैनवास माथै
कदास
अैड़ौ करियां ई
उघड़ जावै जीसा रै चेहरै री कीं ओळ्यां
थारी भसमी रै ओळावै
थारी प्रीत रौ जस गावती!


(4)

थारौ नैवास

म्हारौ औ डीघौ डील
फगत अेक काचौ काकड़ियौ है मां!
लुकोय दिया करती ही थूं जिणनै
रात रा पींपै मांय
पकावण रा जतन करती
नाज रा दांणां बिचाळै ऊंडौ कठैई!

नाज रा वां ई दांणां रै समचै
अेकर अेकठ व्है जा नीं मां
म्हैं पाकणौ चाऊं काकड़ियै री जात
अेक रात सूयनै छांनौ-मांनौ
थारी गोदी में अबोलो
म्हारी माय!

(5)

थारी सौरम

वा सौरम कांय री ही मां
घाल्या करती ही जकी घमरोळ
थारी देही रै ओळ्यूं-दोळ्यूं
आखै दिवस
आखी रात!

कठै ई वा उण हाथीदांत रै चुड़लै री तौ नीं ही,
तिसळिया करतौ जिकौ आठूं पौर थारी भुजावां माथै
कांधां सूं लेय
थारै पौंमचां लग
अर मगसी लागती ही उणरी पसम
थारी गोरी देही रै जोड़!

वा सौरम
कठैई उण बोरलै री तौ नीं ही
जिणरौ सुधरग्यौ हौ जमारौ
थारै सीस माथै बिराज्यां!

उण कन्दोरै री तौ नीं
जिणरी पचीस भरी सोनौ होवण री अकड़
ठैरती ई कोनी थारी कमर रै अेक फटकारै!

म्हैं जद-जद थनै पसवाड़ौ दिरावूं
थारा हाडां रा कटीड़ां
वा ई सौरम होवण ढूकै चरूड़
म्हारी नासां री फुरण्यां रै समचै...

म्हैं इण दुनिया नै बगावतौ
स्कूल रै बस्तै री गळाई
लमूटणौ चावूं थारी कमर सूं मां
बस इतरौ करियां पछै
सूंपणी चावूं थारी आवगी सौरम
चन्दण-काठ नै
लपटां-लपटां विगसै थारी सौरम
चवदै रा चवदै भुवनां लग।

स्रोत
  • पोथी : कवि रे हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : मालचंद तिवाड़ी
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