वास्तु-सास्तर रै हिसाब सूं

म्हारै घर मांय चूल्हो

गळत जिग्यां है

बीं पुराणती जोहड़ी सूं

भरनै ल्याई

मा

माटी सूं बट्ठळ

अकाळ राहत रै काम सूं

घरै आंवतां बगत।

आखै दिन

तगारी ढोवतां-ढोवतां

बाबै

आपरी ध्याड़ी मांय सूं

रिपिया कटा’र

ढळतै दिन लीन्ही

ईंट्यां मांय सूं कीं ईंट।

म्हारै घर रो चूल्हो

हमेस जगै।

स्रोत
  • पोथी : साहित्य बीकानेर ,
  • सिरजक : कुमार श्याम ,
  • संपादक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : महाप्राण प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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