म्हारी नीं

तो किंगी और गी हुवैली

पण है तो

मां ही

मंगती कोनी।

स्रोत
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोडी़
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