मायड़ म्हानै घणी व्हाली लागै,
आ राजस्थानी वाणी।
मीठी-मीठी सर भरी,
जाणैं साकर रो यो पाणी।
मायड़ म्हानै घणी व्हाली लागै,
आ राजस्थानी वाणी।
आया रो घणौ मान बढ़ावै,
बेरियां ने पण गळै लगावै।
खम्मा, पधारो, घणे मान बिराजो,
घरधणी असी करे अगवाणी।
मायड़ म्हानै घणी व्हाली लागै,
आ राजस्थानी वाणी।
कठैई मारवाड़ी, कठैई गोडवाड़ी,
कठैई वागड़ी, कठैई मेवाड़ी।
पग-पग रंग बदळतो,
जाणे लेहरियो सतरंगी।
एक-एक सबद में इणरै,
बसे है सुरसती राणी।
मायड़ म्हाने घणी व्हाली लागै,
आ राजस्थानी वाणी।