कीकर उचारूं थारौ नांव

उणमें है गूंज अणूंती

नीं बोलूं की

तौ बोबड़ौ बाजूं

तौ पछै

ताळवा अर दांतां नै

होठ अर जीभ ने

अेक आछा दिन री आस झिलाय दूं

जिणसू वै उडीकबौ करै

भासा

पण भासा में थूं कठै?

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : चंद्रप्रकाश देवल ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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