मान बिना बिलखी मन मा,रै डौढ क्रोड़ कंठां री वाणी
राती रेत ऊजळी ऊपर ऊंडो निरमळ सीळो पाणी
रज-रज में सूरापण झलकै सतियां री सांची सहनाणी
घड़ी सुभट थकी बेमाता जणतां कोड किया छत्राणी
अगन झळां तरवारां न्हावण री वा जग में अमर कहाणी
पण मान बिना बिलखी मन मारै डौढ क्रोड़ कंठां री वाणी
हालरियै हुलरावै मायड़ लाड-कोड सूं गावै लोरी
उचकै पून पालणै सूत्यो टूट पड़े हींडै री डोरी
चढतां कटक बजी रणभेरी तोरण जाय दियो कवि तानो
मौड़ खोल गठजोड़ो खोल्यो पहर लियो केसरिया बानो
अेकण छंद अलेखां माथा धड़ लड़थड़ लोही लूहाणी
पण आज रया रै राज अडोळी डौढ क्रोड़ कंठां री वाणी
इण भासा रै पाण 'चंद' कवि रच्यो वीर छंदां में रासो
जे 'चौहाण' दाव नहं चूकै पळट जाय पिरथी रो पासो
'पीथळ' लिखी 'पतै' नैं पाती संधी रो संदेसो कैड़ो
आखर बांच अचंभै राणो कायर रूप रयो नीं नैड़ो
कवि रा बोल काळजै चुभिया राणे मौत मौत नीं जाणी
पण आज लाज री बात देस में निदरी जावै राजस्थानी
पण आज रया रै राज अडोळी डौढ क्रोड़ कंठां री वाणी