मत बिसरा तू मायड़ नै

मायड़ मीठी बोली री

सगलां सूं न्यारी

मीसरी सूं मीठी रे

लेखा जोखा हरजस गाया

मायड़ मनमोवणी में

गीत फागणियो

घूमर घालियो

मायड़ ऊजळ आखर नै

पाबूजी री पड़

भोमियाजी रो जागण

माताजी रो रातीजोगो

सुण सुण नी धापिया हा

मायड़ जल़ सींचणी

मायड़ मनमोवणी रे

मायड़ उभी बारणे

डूसकारा भर भर थाकी रै

गीत ब्याव रा

आंबा पाका थै

रल रल गावो रै

पछै क्यों मायड़ नै

इंयू बिलखती छोडी रे

मायड़ मनभावणी

पग पग हारै पूत सूं

मायड़ बोलै

मैं लड़ता मरता देखिया हा

वीरां अर वीरांगनाओं नै

क्यों लजावो लाज म्हारी

यूँ चुप चुप बैठ अन

म्हें मायड़ मनमोवणी

डूसकांरा भर भर थाकी रै

बाट जौवूं

ऊजळ धरती ऊजळ आंगण री

मत मांडो थै आखर

खाली गोरों रै गुलामी रा

लोरी सुणने खातिर

वीरां रो जसगान खातिर

मायड़ मीठी लागैला

जुड़ियो जकौ धरा सूं

बो इज आसमां नापेला

पग पग माथै मायड़

हिम्मत बंधावै है

मत बिसरावो मायड़ नै

मायड़ निजरां उतारेला

मायड़ मनमोवणी

मीसरी सूं मीठी रे

मानता खातर आज

झर झर आंसूडा पीती

ऊभी थारै बारणै

मौको आयो है

मायड़ मान बढावण रो

मत चूको इण सूं

मायड़ मान बढ़ावौ जी

स्रोत
  • सिरजक : सुमन पड़िहार ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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