हींगळू हाथ उठाय, सिंझ्या माथै मांग भरै

सरवर जळ ठहराय, दरपण मुख आगै धरै

निरखै रूप संवार, अलकां सूं मोती खिरै

चिळकै टीकी चांद री, चांदी सा गळ गळ झरै।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : शिवराज छंगाणी ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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