सूरज—

आभै रै नीलै गुवाड़

बेगार करतो करतो

जणा पूगै

उगण सारू आथूण।

चांद—

आपरै पीळै पड़्योड़ै चेरै माथै

अेटम बंबां रो भै ओढ्यां

करै उगण री त्यारी

तारां री आंख्यां मांय

रड़कै है 'ओजोन' री छात स्यूं

छण'र आयोड़ा कांकरा।

रात—

काळी पड़ण ढूकै

मिनख री लाम्बी होवती छीयां स्यूं।

स्रोत
  • सिरजक : त्रिभुवन ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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