म्हैं म्हारै साथै

रा हखूं हमेस अेक काच

घणां जणां देखै अर पूछै

घणां जणां करै इचरज

पण इण रो सुख

म्हारा सूं दूजो नी जाणै

पसरे उदासी रा लाम्बा हाथ

अर अणमापी हंसी री

काया तर-तर सूखै

म्हैं बैठ जावूं पगां ने फैला'र

अर थोड़ो सुसतावूं

अेक सरसराट उठै

आखं डील में

बिखरयोड़ो मन अेकर बंधै

म्हैं खुद नै

खुद रै कनै पाय'र

छिण सारू अळगो नी होवण दूं

खुद नै ढूंढणो चावूं

जणां काच रै मांय

अेकर चेरो निरखूं

स्यात खुद री ओळखाण रो भी

अेक सुख होतो होसी

म्हैं म्हारै साथै

राखूं हमेस अेक काच।

स्रोत
  • पोथी : पनजी मारू ,
  • सिरजक : गोरधनसिंह सेखावत ,
  • प्रकाशक : भँवर प्रकाशन
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