सुणजै मिरगानैणी!

म्हें थारे वास्ते लायो हूं

सिणगार रो सामान

थूं इण नै पैहर पछे बता

कै थारे माथे केड़ोक ओपे

मोतियां सूं जड़यो

आकाशगंगावां रो गळहार

जड़ाऊ बोरियो

जिण में सूरज जड़यो है

है थारे माथे री टीलड़ी

जिण मांय शुकरियो तारो जड़यो है

आभै सूं उतार लायो हूँ चन्द्रमा

जिको थारी नथ में जड़यो है

कानां रा भळहळता डूरगला

ब्रह्मांड रा सबसूं फूटरा बाला

शनिचर सूं माँग लायो हूँ

ताराभाँत री चुनड़ी

जिण में सप्तऋषि सतारा जड़या है

सांवला बादलां सूं

काज़ल उतार लायो हूँ

म्हें इंदर सूं लड़'र

डांगड़ो खोस ल्यायो हूं

पायल रो जोड़ो

थारे माथे जोर जचेला

सुणजै मिरगानैणी!

जनम जन्मान्तरां सूं

भेली कियोड़ी सब चिजां में

एक सिणगार अधूरो है

जिण नै इण भव पूरो कर रयो हूं

थारे सुहाग री मेहंदी के बाग

मैं म्हारी हथेलियां में उगा रयो हूँ।

स्रोत
  • सिरजक : रेवंत दान बारहठ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी