समंदर

थारौ कितरौ ऊंडौ पेट

पण कांई काम रौ

थारै हिवड़ै मांय भरियौ

कितरौ खार

जे थूं नीं बुझा सकै

किणी री तिसणा

थारै सूं तौ

अै धोरा चोखा

जिका देवै तौ है

किणी नै

तिसणा बुझावण रौ अैनांण

झूठौ सही

कीं जेज तौ

देवै थ्यावस बटाऊ नै

अर देवै

आगै सई आगै

बधण री हूंस।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : वाजिद हसन काजी ,
  • प्रकाशक : अपरंच प्रकासण
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