मिनख अर दूजा जीव-जिनावरां रै पगफेरै में
औ ई तौ आदू फरक हुवै
कै मिनख जिण दिस री सीध लेवै
उण दिस रा रूंखां री रंगत फुर जावै...
पंखेरुवां री बोली नै मिळ जावै नुंवा बोल
पगोपग आवती पीढियां री हलगत सूं
आवतै जीवण रै इतिहास में!
उणरी अगवाणी में पग
सीख लेवै पंगत-पंगत हालणौ
अर दूजा मारका जिनावर
ऊंचां डूंगरां में सोध लेवै ओल्हा
स्यांणा मिनख अेक मरजादा बांध देवै
कुदरत रै कळाप री!
रिंधरोही में मारग अेक थावस हुवै,
जीवां री कळझळ आ आस बंधावै
के नैड़ौ कठैई मिनख रौ वासौ है
हिबोळा खावतै समदर रै आभै में
अेक उडतै पंखेरू रौ कांई मोल हुवै
उणनै अेक भटक्योड़ै नाविक सूं बेसी कुण जांण सकै!
अंधारै में घिरोळा खावती दीठ नै
जद दीख जावै उजास री अेक निसंधी आस
संकीजती ऊरमा नै मारग मिल जावै
अंतस री साध रौ,
अर आ ई साध सजीवण कर देवै
आखी स्रस्टी नै!
मिनख अर दूजा जीव-जिनावरां रै पगफेरै में
औ ई तौ आदू फरक हुवै!