जद-जद बी म्हनै
या सोची कै म्हूँ
बड़ो आदमी बणूँ
म्हारै आडै आग्यो-म्हारो मनखपणो।
अर जद-जद भी म्हनै
सोची कै म्हूँ
सफल मनख बणूँ
म्हारै आडै आग्यो—
म्हारो म्हूँ।
जद जद म्हनै
सोची कै म्हूँ
म्हारा मन सूँ पूछूँ
म्हारी ही ओळखाण
तो म्हनै घणी सरम आई।
ईं बात पै न्हँ
कै म्हू कांई कोईनै।
ई बात पै,
कै म्हूँ बी सांच्याई
एक मनख ई छूं
बना मनखपणा कै।