पक्की सड़क सूं
तीन कोस अळगौ
म्हारो गांव बुलैरा,
ऊंचलै बास मांय
कोई-सै कोई-सै घरां
दीयो, चिमनी कै लालटैण
बेग सूं चालती
पून मांय भी
चसता दीसै
महीनां सूं बंद पड़ी
पौसाळ
गांव री टेकरी अर
मास्टर जी रै बीच
कोई अणूतो सम्बन्ध
होवणै रो
दीठाव करावै।
पंचायत रै सामीं
फाटक मांय आयोड़ा
सांसर
जोवै एक दूजै नै अर सुसतावै
कदास नीरै
कोई पूत
लेवै आसीस अबोळां री!
पटवारखानै रै
डागळै माथै
कागडोड बैठै अर उड़ जावै
न्याय अर प्रसासन री
ताकड़ी रो कांटो कांपै
एक फेरूं कागडोड आय’र
मुँडेर माथै डो-डो करै
अर आभै मांय अदीठ जावै।
भूख, गरीबी अर काळ सूं
थाकल म्हारो गांव
उदास है
पाणी अर बिजळी खातर
ओजूं ई हिचकै
अर गांव कोनी
आंवती जीप रै आगै
पसारै है हाथ म्हारो गांव बुलैरा।
अबखायां सूं
डरपीज’र
भाग रैया है
इण गांव रा जोध-जुवान,
अर-रळता जाय रैया है
सै’रां री अणगिणत लूंठी भीड़ मांय
गांव रो बी.पी.ओ. उडीकै
ड्राफ्ट, मनीआर्डर अर रजिस्ट्री नै
बस्ती री नैनी-मोटी आंख्यां
जोवै पक्की सड़क सूं
आंवती पगडांडी नैं।