म्हारो गाम

इक्कीसवीं सदी में

दुनिया सूं टूटेड़ो

तीसरो खूणो है।

आथण

खाली ही गाम री गळी

दिनगै

चुरावै टूणो है।

स्रोत
  • सिरजक : विनोद स्वामी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी