खेलण पढण री उमर म्हारी

कुण मानै पढावै जी

हाथ म्है होनी पोथी रै पाठी

मिली मानै जूठी रै थाली

दिन रात काम म्है करता

कोई छै जग में अपणा

खेलण पढण री उमर म्हारी

कुण मानै पढावै जी

बाळपणो म्हारै नाही आयो

आयो सिधो जोवन जमारो

कंचन जैडी मारी काया।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : रामाराम चौधरी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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