म्हारै कनै सोवती नान्ही बेटी

जस्यां आंख कै कनै नींद

नींद कै सिरहाणै सुपनां,

सुपनां का खीसा में सुख

सुख की मूठी में काळ

अर काळ का उणग्यारा पै मंड्या

दो आखर आस का...

म्हारै कनै सोवती म्हारी लाडेसर

जस्यां ऊंचा डूंगर पै

सुवास झोळी में लेय’र चालतो बायरो

बायारा का बहाव सूं कांपतो झीळ कौ पानी

अर पाणी पै मांड दिया होवै कोय नै

संतूर पै कोय राग बजा

लोरी का चितराम...

म्हारै कनै सोवती म्हारी डावड़ी

जस्यां जाग’र आसीस देता हो पुरखा,

कै कमरा में उतरआई होवै चांदणी,

कै जीवता होग्या होवै गीतां का बोल

कै म्हं सूं ही बतळातो होवै म्हारो मून...

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : अतुल कनक ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम
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