आज मा रो फोन आयो

मा बतायो—

लारली दीयाळी

परणीजगी बा तुळछां

जकी थूं लगाई

आपणैं घर रै आंगणैं

परणीज्यां पछै

तीन मईना हरी रैई

कोई नवी काढी नीं डाली

नीं लाग्या नवा पानका

जूनी डाळ्यां माथै

जरूर आया मोर

बा तो बळगी जा पछै

थारा सुणा

काईं हाल है!

म्हारा तो

बुसका फाट्या

सबद दोरा डाट्या

मा म्हैं तुळछा हूं थारै आंगणै री

इत्तो बोलीज्यो

अर मा फोन काट दियो!

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो ,
  • सिरजक : अंकिता पुरोहित ,
  • संपादक : नागराज शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिणजारो प्रकाशन ,
  • संस्करण : अंक 36
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