बैठो हूं म्हैं बीसवां सईका रे उतराध

( फगत पनरै बरस बाकी है)

जलम लेवता अणगिण जीवां रै मज्झ

म्हनैं अपरोखी लागै चिंतणा मौत री !

पण झिझक आकार धारण करै

म्हारै अवचेतन में रगत री अेक नाडी

जिणमें तिरता अलेखां मरण- कोडियाळ

उण इकथंभिया म्हैल रै कंगूरां कांनी

जिण माथै टंगियोड़ो अेक लोही झरतो नरमुंड

जिणरा डोढ़ा झिरोखां सूं छणती

खळखळ हंसी;

अर गोखड़ा में तीरां री सेजां ओझकै

सैला सूं बिंधियोड़ा

पळकती करवाळां रै झटकै पड़िया कबंध

क्रूस माथै लटकता,

अरोगता केसर रा प्याला

अेंठता बदन मुगत होवण री पीड़ सूं!

कविता रो छांटो पड़तां

पाछो बैठतो रगत रो उफांण,

अर गरभ में भेळो होयोड़ो भ्रूण

रूप धारण करतो कुंडळाकार !

बसंतायोड़ा उद्दीपन बन में

फूलां सूं लड़ाझूम बेलड़ियां बीच

पांच सपूतां रो बाप

काम रा मरण बिंदु री चेतना में

अेकाकार

जीवण सिरजण री साधना में

अणावरत माद्री रा भूधर कुचां नै

आपरी मूठी में भींच,

उणरा निवाया होठां में गडायां गयो दांत

अर धोवतो आपरी तणियोड़ी नाड़ी सूं

किरोड़ां जीवाणु स्वागत करता गरभ में

अेकाअेक पड़ग्यो निस्पंद!

निस्पंद होयग्यो हिरणी रो सराप !

रगत री नाडी में

कामासणां लीण लाख-लाख जुगल

छिटक-छिटक ढंक लिया भोजपत्तर सूं

आपरा झब झब करता अंग

गिनोरिया अर सिफलिस री छूत सूं डरियोडा

मरण रा डर सूं घायल मरियोड़ा

अणभोग्या अनुभव री मायावी पीड़ अेक मौत !

कैंसर वार्ड में

सूरज भगवान रै उतरायण पूगण नै उडीकतो

पीड़ सूं छीजतो अेक भरपूर जोधार,

बिंधियोड़ो तीरां सूं

अंबा नै अेकवार, फगत अेकवार

निजर रा फोटू-प्लेट माथै उतार

अंधारा में बिलम जावण नै उतावळो,

सांम्है ऊभा सिखंडी सूं संतोस धार

जिणरो धौळो माथो लटकग्यो

जीवता महारथियां रै रूबरू!

अेक बेकाबू रोग

अक्यूपंचर, अपरेसन, रीसर्च, रीसर्च!

अेनरजी बराबर मास गुणा वेलोसिटी वरग!

अणु रा गरभ में जलमें

वा रसायनिक ऊरजा

जिकां में विसरजण होवै सगळा जीवण!

हिरोसिमा अर नागासाकी रा नगर

धू-धू बळै इण ताप सूं

अर दाझै लाखां पिंड चीसां मारता!

अेक धुंवा रा बादल

अर धमाका समचै अलोप होवता

हज्जारां अबोध, निरदोस,जनपद

चेतनावां निस्पाप!

माथो पकड़ बैठग्या चित्रगुप्त जी

लाख-लाख जीवां रो लेखो

पाप पुन्नरी खतावणी

मिजमांनी लाख लाख पांवणां री

पाछा सिरजण री चिंता!

नोबल प्राइज

अेनरजी वरावर मास गुणा वेलोसिटी वरग!

तणाव रा आखर धोखतो

दफ्तर सूं घरां बावड़तो

अेक अैलकार भिड़ग्यो समान लदिया ट्रक सूं !

निकल आई पेट बारै

धौळी गुलाबी आंतड़ियां

अेक धमाका साथै बारै आयग्या

माथा रा कपासिया

थरथरायो अेक हाड मांस रो बदन

पांणी, पांणी, पांणी !

सोना री अेंठवाड़ी बतीसी धोय

दान करण नै

धोखतो ब्रम्हास्त्र चलावण री कळा

परसरामजी रै सराप!

चकरिया रै ऊपर घूमती

माछळी री आंख रो संधाण

नीचे तेल रा कढाव में पड़छाया देख!

कंवारी कन्या सूं जायोड़ो

मां, म्हनैं अेक बाप तो दियो होवतो

बाप बिना बहू कठै ?

रिच्छा रा कवच-कुंडळ कालै उतरग्या !

मुंडा माथै मारली अेक डगळ री

सोना री बत्तीसी धोवण नै

पांणी, पांणी !

तीन बरस होयग्या बादळां नै अठीने गाज्यां

सूखगी-धरती रै नीचैरी अंतरधारा

दो मील पूरब कांनी वधै रेगिस्तान

सालो साल!

आंधी, बथूळिया अर रेत रा दरियाव

भरयां जावै सामरथ सतावांन

रासन में चळू चळू पांणी

पीवो, धोवो, न्हावो, करो कुरला!

तड़ाछ खाय पड़ग्यो टोगड़ो

तणगी च्यारूं टांगां

बारै लटकती जीभ माथै बेकळू!

दिमाग सब सूं पैली मरय्या करै

पछै मरै दिल

अर आंख्यां खासी ताळ मरयां पछै जीवै

ट्रांसप्लांट दिल रो

आंख रो दान संभव है इणी कारण !

हाल थूक में तरळाई है

चालो माळवै !

माळवै किसा मिनख कोनी मरै!

आटा-पाटां बैवती अेक नदी में

रूखां माथै टिरियोड़ा लोग

देखता रह्या आंख्यां सांम्हीं

धार में गुड़कता आपरा कुटम नै

डूबता, उतरावता, बदन

नागा, फूल्योड़ा, बिडरूप !

कठा सूं आवै रेळो अचाणचक

मरण रो,

बोळाय जावै अंवेरियोड़ी संपद,

झूंपड़ा!

अर बिखेर जावै घरकोल्या !

वो उड़तो अेक विमाण पड़ग्यो संमदर में

तीन सौ पचास अमीर उमरावां

परिचारिकावां नै आपरा गरभ में लियां।

अर परियां जैड़ी फूटरी

हाल सोधै है लोग

उण विमाण रो कचरो

जातरियां रो सामान?

स्रोत
  • पोथी : निजराणो ,
  • सिरजक : सत्यप्रकाश जोशी ,
  • संपादक : चेतन स्वामी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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