मत कर ऊपरवाड़ो, यां घुड़ती भीतां रो।

किरण नै विसवास अठै, मिनखां री नीतां रो॥

हिवड़े री कोर तळै, छेड़ी कुण सुरणाई।

मन भारी भारी है, मौसम रीतां रो॥

बुझियोड़ी राख तळै, चिणगारयां चेतन है।

फूकै कुण आग अठै, गायक-पग चीतां रो॥

निजरां री पौंच तकां, सूनो समसाण धुकै।

है कुण सै देस अदीठै, डेरो मन मीतां रो॥

जुगजीत्या राज करै, मन हारया मुळकै है।

हार्योड़ा हरख करै, दुसमण री जीतां रो॥

स्रोत
  • पोथी : मिनखां जूण रो मोल ,
  • सिरजक : सत्येन जोशी ,
  • संपादक : बस्तीमल सोलंकी भीम ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य चिन्तन परिषद भीम जिला उदयपुर
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