नाळै में लिजलिजाट

जबरियो जजमान

अेक मंडकै खातर...

चुग्गो बी देई'सी!

ठाला बैठ्यां

अेक बिचार जलम्यौ

जीवण री सुंवारै सुदी

स्याणप रो दिन आथणं होसी

अर आथणं पैली-पैली

घणकरा काम निपटाणां

घर री नींव राखणीं

टाबर-टींगर पाळना

सुथरै संसकारां री औट

चौखी सीख देवणीं

जमारै सारू पढाणूं

बूढै-बडेरां रो काण-कायदौ

राखणैं सारू जतन करणूं

भाण-बेट्यां रो सिर ढकणं

ब्याव-भात ताणीं जापतौ जचाणूं

आया-गयां री मान-मनवार

आव-भगत खातर परबन

तीरथ-जातरू कै लियां

अगाड़ी त्यारी राखणीं

सियाळै-उनाळै, तावड़ै-बिरखा

सगळी रुतां गैल

जीवण निमाणूं

के नान्हां के मोटा

सत्तर भांत रा काम पूरना

कैयां करस्यां! के करस्यां!

रिपिया कागद, अर सोनूं माटी

माणस ऊं सुखी हैं रोहिड़ा-जांटी

कांई घ्यार करणूं......

मौजजिकौ चांच देई है

चुग्गौ बी देई'सी

स्रोत
  • सिरजक : विमला महरिया 'मौज' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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