मारग मांय मर्‌योड़ा मिनख रौ

मसांण नीं व्है मारग में

मारग में थाक्योड़ा मिनख

पोरौ नीं खाय सकै मारग में

सदीव सूं व्हैतौ आयौ है

अर भवीस में व्हैला

के मारग सूं टळ'र खाइजैला पोरौ

अर मारग सूं छेती बळणौ पड़ैला

मां, थूं क्यूं घड़ी-घड़ी चावै

के थारै बेटा रौ मारग

सीधौ सड़ाक अर साफ व्है

साव सळबी व्है उणरी मजल

इण अणंत संसार में

मसांण तांई जावतौ अेकूकौ मारग

हरमेस सीधी सड़ाक'र साफ व्है

अर छेहली घड़ी साव नजीक

यूं पछै आवगी जूण री भंवळ

खायां केड़ै

किस्यौ मारग पाधरौ नीं लागै

नीं बोल अपां खुद नै भरमावां

अर बोल नै भरमीजै है मां!

बेला-अबोला दोनूं नै

भरमावै है मारग

रही बात पाधरापणा री

तौ त्र्प्राखी उमर

वौ पाधरौ गियौ त्र्प्रर पाधरौ त्र्प्रायौ

पण कदै आपरी कड़ पाधरी नीं कर पायौ

उण च्यार बीसी बरसां लग

माटी नै माटा रै गेलै घाली

पण माटौ गियौ माटी रै गेळै

खुद पाछौ खाली रौ खाली

मां रै उण कुम्हार बेटे

जिकी बात कही

वा सोळै आंना अखरै, सौ टंच सही

मारग।

अरे, इणरी ततना छोड दौ आगी

पड़्यौ रेवै अठै इज कन भाजै

नीं जीवता रह्यां कांम रौ

अर नीं कदैई मर्‌यां पाछै!

स्रोत
  • पोथी : मारग ,
  • सिरजक : चन्द्र प्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : देवल प्रकाशन
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