आदमी सूं आदमी लग
पूगण नै चइजै हरदम मारग
अर हरअेक टैम नीं व्है
हाथबसु मारग
आदमी रै
इण सारू
आज लाध्योड़ा मारग नै
वचाय'र राखणौ पड़े धकला दिनों तांणी
पण
मारग री अजब बांण
के वौ पईसां ज्यूं भेळौ नीं करीजै
थोड़ो-थोड़ो
औ तौ लाधै जद
सलंग इज लाधै
अर साबुत इज रखेळणी पड़ै
नीं औ सांवट'र भेळौ करीजै
नीं औ कापड़ थांन ज्यूं तहीजै
नीं नीं
औ नीं अंवेरीजै
सूत पळेटण री अटेरण माथै
नीं औ रास ज्यूं गोळ-गोळ
कुडाळयो बणाय धरीजै
नीं औ खूंजा में नीं मावे
नीं औ थेला में समावै
नीं औ नीं लादीजै लौडां
नीं बळदां री गुणतां
जठा रौ मुड़दौ जठै इज बलै
उणी गत
अठारौ मारग अठे इज पळे
किणी नै फळै
किणी नै नीं फळै
किणी-किणी नै औ सदै-पचै
किणी ने वायवौ व्है जावै
यूं तौ जित्ती जीभां उत्ती बातां
पण जित्ता हाथ है उत्ता मूंडा है
अर हरअेक हाथ रै मूंडा तांईं जावण रौ
अेक मारग है
इण मारग माथै
ठौड़-ठौड़ लाधै ई खरी
अर नीं ई लाधै
पण व्हैवै अवस बटमार
बटमार जिका लूटै बख लाग्यां
नित रोज
मारगुवां नै
वै मारग नीं लूटै
क्यूंके मारग वांरै पगां लुटै
गण अर तंत्र री गळाई
आंरै बिचाळे ई अेक ट्रीटी है
जिणने नीं तोड़े कदैई मारग
अर बटमार
इज ट्रीटी रौ ई अेक मारग है
पण माफ करावज्यौ पाठकां!
हरेक मारग बतावण रौ नीं व्है
फैर यूं सोरे सांस
दुनियां रा किणी कवि सूं
मारग कठै बताइजै?
वौ आपरी बणती आफळ
बतावण नै बतावै ई है मारग
पण उणरौ मारग हरमेस भरयोड़ौ व्है
'युटोपिया' रै फुग्गा में
फुग्गौ के जिकौ
हाथ में आवतां ई फूट जाया करै
अर मारग
उणरै फूटतां ई आपरौ मारग लेय लिया करै
इण में कविता रौ कांई कसूर
वा तौ अजखुद ई
पोथी, पानां, पेरां, लैणां अर
सबदां रै गेलै-गेलै आवै बापड़ी
आखर सूं सरू व्हैय
पछै
घणौ कांई अरज करूं
आप खुद समझवांन हौ
थोड़ा लिख्या नै घणौ कर बरतणियां पाठकां!
आपसूं किसी अछांनी है आ बात
के
'क' सूं किसन वणण रौ
मारग दूजौ
अर 'क' सूं कंस बणण रौ दूजौ
अबै कोई छांण काढै तौ
उणरी मरजी
नीं काढै तौ
उणरी मरजी
किणी री मरजी अर नीं मरजी सूं
मारग रै कांईं
फरक पड़ै
उणरै तौ जांवणौ है
इण सारू जायां ई करै
अर उणरै जायां ई सरै