बरस चवदा

थकां धणी

भुगत्यौ विजोग

रात अर दिन

भोगी पीड़ पळ-पळ

हुवता थकां

राजा री पटराणी

ठाह नीं कुणसै अपराध

मिळ्यौ डंड

भरत री घरनार

मांडवी नैं !

जिणरौ पड़ूत्तर सोधै है

लुगाई जात

भोगती कीं कीं

नूंवा-नूंवा डंड

अजेस लग।

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो 2017 ,
  • सिरजक : कमल रंगा ,
  • संपादक : नागराज शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिणजारो प्रकाशन पिलानी ,
  • संस्करण : अङतीसवां
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