बहू जांवे जद तांईं

खा लें

अर बेटी होवें जद तांईं ओढ़-पहर लै

अक्सर माँ ईं कैणात नै

कहती रह छी,

पण बाळपणां मं

अरथ समझ आवै छो

माँ जद भी नुई मेहंगी साड़ी लाती

जतन सूं सँभाळ'र राखती

कहती रहती

बेटी के तांईं यो रंग

घणो रुपाळो लागै छै,

बड़ी होर या पहण लेगी

सन्दूक भर ली छी ला-ला र,

जब बी बजार जाती

कोई बी नुई डिजाइन को

बर्तन देखती

अर खरीद लाती

पूरो बक्सों भर ल्यो

ऐकठा कर'र

बेटी नै दे देंगा,

जद बी सुनार कै जाती

कदी कान का

कदी पायल

कदी अंगूठी

बिना काम कै ले आती,

पापा के छानै-छानै

पड़ोसण नै बताती

अरे अस्या ही अेकठो

करणो पडेगो ढायजो तो

बेटी के ताईं देबा कारणै

काम आवेगो,

खिलखिलार हांसती

जाती दोन्यू ई,

क्योंकि वाकै घर मं बी

बेटी छै न,

जद म्हूं माँ की बातां

समझ पाती,

जीं बी चीज पै

हाथ म्हेल देती

म्हारी हर जिद

पूरी करबा कै ताईं

पापा सूं भीड़ जाती माँ,

अर धीर्यां सेक कहती

यांईं सब सोख पूरा करुंगी,

पतो कस्यो घर मिले,

स्कूल को काम कराबा मं

पूरी जान लगा देती माँ,

इंत्याम म्हारा होता

अर चिंता सारा घर की,

सारी रात घड़ी

देखती रह छी,

जाग'र माँ,

जद बी म्हूं रूस जाती

झट म्हारी पसन्द की

पतोड़ की स्याग बणा'र

रख दे छी माँ,

सो-सो बार मनावणां करती

थाकती,

सारा दन बस पाछे-पाछे

फिरती,

घणी बार म्हनै रोस जातो

फेर बी हाँस जाती माँ

आँख की पुतली की नाईं

जमाना की बुरी नज़र सूं

बचा'र राखती हर खोटी नजर सूं,

काजळ पै काजळ

लगा'र,

बाळा मं तेल लगाती बैर की

दुनियां दारी की सो बातां

समझाती

क्हाँ बी एकेली मत जाबू कर

कोई सूं बी बेमतलब

मत हांसबू-बोलबू कर

जमानो खराब छै

अर थू घणी सीधी छै म्हारी बेटी,

बस पढ़-लिखर

अपणा पावां पै खड़ी हो जा

जमाना सूं लड़बो-बोलबो सिख लै

म्हारी नाईं पाछै मत रीजे,

जद म्हूं सोचती

अस्याण क्यूं क्है छै माँ,

कैई बार म्हूं दुःखी होती तो

माथा पै हाथ फेरती

लाड़ करती

बोलती कांईं भी न?

बिना बोल्यां ईं सब क्है देती

खुद के लेखै कदी काईं मांगती

भगवान सूं

अर म्हारै लेखै

आठ दिन मं च्यार बरत करती,

याद ही कोई नं

कद दिन कढ़ ग्या

आज म्हूं खुद

बेटी की माँ बण'र

उस्याईं

माँ को वैवार दोहरा री छूं

तो माँ का मन मं चालता

भावां की लहर

गंगा जी की नांईं

म्हारै भीतर सूं बहती रह छै

पतो पड्यो

माँ कद म्हारे भीतर

रमगी उंड़े काळजे मं

समय और पीढियां बदलगी

पण माँ तो

बस माँ ही रह छै संसार मं,

माँ की छाया रह छै बेटी

म्हारी बेटी बी

कदी-कदी कहती रह छै,

मम्मा आप बी

नानी जसी होती जा री छै।

स्रोत
  • सिरजक : मंजू कुमारी मेघवाल ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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