नीपूती नीं जाणीजै जग में
थूं पूजियौ भाटौ-भाटौ देवजांण
मिंदर-मिंदर चढायौ भोग
थांन-थांन मांडियौ पल्लौ
अेक ई मांग, अेक ई आस
'फकत अेक बेटौ दे दे भगवांन!'
थारी आंण राखी थारौ भगवांन
या दी थनै आखी उमर री अंतस-झळ
आ थूं जाणै मां
म्हैं तौ फकत
पीड़ रौ पसराव देखतौ रैयौ
थारै च्यारूंमेर, तर-तर बधतो
थारी काया, थारी आत्मा
थारो अंस म्हैं
थारो चांद, थारो सूरज
धारो वंस म्हैं
आज
आंगळियां बिचाळै रेत ज्यूं
उमर रै हाथां थनै फिसळतौ देखूं
म्हैं जाणूं मां
थारा सपना, थारौ दुख
थारी दोरफ, थारी पीड़
थारै कळपीजतै मन से संताप
आज बगत री चकरी में चकराऊं, पण
थारो पुणचो पकड़ियां-पकड़ियां
घर रै आंगणै रा चकारा
म्हैं भूलियो नीं हूं अजै तांई
नीं भूलियो
हालरियो हुलरावता थारा बोल—
'बाबू बेटो कठै है
ढोल बाजै जठै है'
हिंडोळै हिंडोजतौ म्हैं!
थूं बैवती सनैव री धार
छळ-छळ नदी री भांत
नीं भूलियो हूं अजै तांई
वै इमरत रा घूंट अर
थारी गोद
कंवळौ हौ म्हारौ डील
के थारा हाथ
नीं थूं बता सकै, नीं म्हैं
म्हारै होठां ही रस री धार
अर कंठां हो अेक इज बोल—'मां!'
इण अेक आखर रै खातर थूं
होठां मुळक पसार
म्हनै अंवेरियो
म्हनै अंगेजियो...
सुण मां
थारी गोद सू उतरतां ई
बगनी व्हैगी म्हारी भोळी इंछावां
आळस तोड़ती जवानी
सुन्न पड़गो अेकाअेक
बगत रो हरकारो
रोटी अर पेट री चिंता रो
मरण-मंत्र फूंकग्यौ
अंजांण लाय में बळग्या
थारा-म्हारा सपना
अर म्हैं
कारोबारी दुनिया रै हाथां
म्हारी जूण बेच दी
पण निज है म्हारी आत्मा
म्हारै मांय अजै तांई—
उजळाइजै मां रौ दूध
राखजै इज्जत रौ छोर
कस’र पकड़नै हाथां में
सीख री अै ओळियां लिखी मां
थूं म्हारै नांव
थारै सबर री ताकत
परोटती रैवै म्हारौ धीजौ
म्हारी रचणहार!
अबखायां री जाजम माथै
असेस पीड़ री साख भरतौ म्हैं
समर गाथावां रौ वीर पुरुस बण
जीवण री हर आखड़ी खातर
जूझ रैयौ हूं, जूझतौ रैयौ हूं।