माइतां

म्हारा दादो-सा।

थानै बेरो है मन्नै

थारी धोळी दाड़ी स्यूं चिबखाण है।

मन्नै ठाव है कै -

थानै थारी अंगरखी पर गुमान है।

पण, थानै जाणकारी होसी कै

थे टूटेड़ै गातां री निसरणी हो,

अर म्हे उगतै सूरज री क्यारियां।

पण थे चालता ही थारली फटकार म्हानै सुणाज्याओ हो।

अर म्हे चुप्पी स्यूं थानै आदरां।

म्हारा बाप सा।

थानै पतो कोनी पर म्हे जाणा हां-

कै थारै माथै में घणकरा सिद्धांत सूख'र धोळा होग्या है।

अर म्हारली काची कूंपळां जहर-सी खारी लागै है

थे लड़ो तो म्हारै के है?

म्हे नीची घूंड घाल लेस्यां,

पण साच तो दिन ऊँचो आंवतां ही ऊभी हो जीसी।

म्हारी मां।

थानै तो म्हूं समझा लेस्यूं गारगौर कर साची बता देस्यूं।

कीं बीच तूं स्याणी है।

क्यूंके तूं तेरली घणी कोनी चलावै

तूं मेरी मां है।

मनै बेरो है, तूं जद लड़ै है

एक छोटी-सी कोथळी में प्यार भी राखै है।

पण देखलै तेरै सामै आगली पीढ़ी आवण आळी है।

बा आंवतां ही कह देसी-

घूंघटो उघाड़ कांच में देख तू अब बोदी होगी है।

पण म्हे तो तेरे कान में कऊं हूं -

नई पीढ़ी सूणापे नै आदरी,

फेर मौज करी।

बैठी खाई, पोती-पोतां नै खिलाई।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : करणी दान बारहठ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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