जद देखै

आभै मांय

उडती चिड़कल्यां

मन रै लाग ज्यावै पांख

बा भरै उडारी

सुपनां रै आभै मांय

अर जद बा बतावै

आपरा सुपना

अर सुपनां री उडाण

मोकळा हाथ

थपकै बींरी पीठ।

पण जद बा उतारै

आपरै सुपनां नै

धरातल माथै

बै हाथ खींचै

बींरी टांग

अर कैवै,

लुगाई अर परीत

घणो चोखो कोनी

लुगाई जात रो

आभै मांय उडणो

चिड़कल्यां री भांत!

स्रोत
  • पोथी : कथेसर ,
  • सिरजक : थानेश्वर शर्मा
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