गांव म्हारो है!

घर-घर में उग्याई भींत

अणखावणा लागै

खेत, गुवाड़ अर पसर्योड़ा मैदान

ताक में मेल्योड़ो

जूनों काच धड़ल सूं धरती पर पड़ग्यो!

करजा सूं लिप्योड़ा आंगणां

सुला लेतां* में फाड़्योड़ी बही

अर न्याव रै नांव पर

कुआ में पड़तो

चौवू* चन्दू हलवाई

मन्दिर में जूओ

भंगी मत छुओ

राजनीती सूं सूंत्योड़ो

बूढो गांव

गांव म्हारो है!

चोरी करै पंचायत रो चपरासी

जेबां भरै सरपंच

सरकारी पीसां सूं

अर लोगां रै सामैं झूठी बात बणावै

मन्दिर रै पिछवााड़ै रोज पुजारी

भंगण सूं आंख लड़ावै

मास्टर करै बात रोज बोरां री

टाबरां सूं

गांव म्हारो है!

फूट सूं फूटयोड़ो

नेता सूं बिदक्योड़ो

अर ठाली-बूली बातां सूं भरियोड़ो

गांव म्हारो है!

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी-1 ,
  • सिरजक : गोरधन सिंह शेखावत ,
  • संपादक : तेजसिंह जोधा
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