हजूर! म्हैं मजूर!!
जिणनै
हुकम रै हेलै हालणौ
ऊठणौ, बैठणौ, खावणौ, पीवणौ
अर हेलै ई सूवणौ, जागणौ
इण पछै ई म्हैं हूं
सिरफ अेक काया
अेक आदम जात पूतळी
क्यूंकै हजूर! म्हैं मजूर!!
दिन तौ है इज कोनी
म्हारै जंजाळी जीवण में
फगत है तौ काळी रातां
जिण में ई घोर अंधार
फेर ई सोचूं-
कीकर मिळै पगार,
क्यूंकै हजूर! म्हैं मजूर!!
पेट रै पाटा बांध नै
आखी उमर रबकियां पछै ई
आंतड़ियां रा अळूझाड़
सुळझ्या कोनी अजै
म्हारी कसमसती काया रा
क्यूंके हजूर! म्हैं मजूर!!
रेत में रमता टाबरिया
आफळती अरधांगनि री
इंछावां नै मरती नित देखूं
पण
मजूरी में निठ जावै
म्हारी आखी उमर
क्यूंकै हजूर! म्हैं मजूर!!