भीर हुवैलो

सीयाळै रै साथै-साथै

बिरहणियां रै आंसूड़ा रा कागद

जोवैला थारी बाट

आगलै मौसम री

कुरजां!

नीं जाणै म्हारी लुगायां

तू सारस है

बतख है

चिड़कली है

कै कीं और

बस इतरो जाणै

कंठां स्यूं हिवड़ै री पीड़

जद झरै-

संदेसो लेती जाइजे

उड़ती कुरजळियां।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक (दूजो सप्तक) ,
  • सिरजक : चैन सिंह शेखावत ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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