म्हां लोगां रै निंवतियौड़ी
आई है
कुदरत कायी होय
सगळा रा सगळा भेळा होय
आजौ हथाई में
पी दारू, मारू बणांला
अपां, अपा’रै बारा में, कीं न कीं
साच कैवांला
सो’रौ व्है जावै कुदरत रौ कांम
कुदरत नै अपा’रै आगलौ
अेक मिनख बणाणौ है।