म्हां लोगां रै निंवतियौड़ी

आई है

कुदरत कायी होय

सगळा रा सगळा भेळा होय

आजौ हथाई में

पी दारू, मारू बणांला

अपां, अपा’रै बारा में, कीं कीं

साच कैवांला

सो’रौ व्है जावै कुदरत रौ कांम

कुदरत नै अपा’रै आगलौ

अेक मिनख बणाणौ है।

स्रोत
  • पोथी : सगत ,
  • सिरजक : शंभुदान मेहडू ,
  • संपादक : धनंजया अमरावत ,
  • प्रकाशक : रॉयल पब्लिकेशन ,
  • संस्करण : प्रथम
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