देख कुबोली बैर करावै,

ही फिसाद कळह करावै।

पड़ै टाट पर जरबा देखौ,

कुबोली ही टाट कूटावै॥

ओछौ सबद सहण नीं होवै,

टाट मांयनै लिगतर टेकै।

जरबा पड़ै बिना गिणती रा,

ऊभा ऊभा सगळा देखै॥

कुबोली सूं बिस बापरज्या,

ठोकण लागै हो आमादौ।

धड़ाधड़ ठरकावण लागजा,

काढ दोय सगळौ ही कादौ॥

कड़वौ बोल सामलौ बोलै,

छाती मांही सूळ बणै बौ।

बगत आयां पण बौ चूकै,

बैर भाव रा बीज जणै बौ॥

देख मिंतर थूं! कुबोली सूं,

कई बड़ा अनरथ होग्या है।

कुबोली नै काम लेवण सूं,

कई जणां कुमौत सोग्या है॥

कुबोली अपमांण करवावै,

कुबोली सूं होवै फजीती।

कुबोली सूं घालजा नूंता,

कुबोली सूं रहज्या सूता॥

तिल रौ ताड़ करदै कुबोली,

राई रौ पा’ड़ करदै कुबोली।

गुड़ रौ गोबर करै कुबोली,

निबळौ बगत लावै कुबोली॥

कुबोली अगन सुळगावै,

कुबोली ही राड़ करावै।

कळह असुभ नै चमकावै,

जहर बीज ही निपजावै॥

कागै री बोली कड़वी है,

झटपट उणनै मिनख उडावै।

कुबोली है अनरथ भरेड़ी,

बस कोरी हांण करावै॥

थानै म्हारौ ही कै’णौ,

पै’ल तौलनै पछै बोलणौ।

मीठी बोली नीं बोलीजै,

कदी यूं कुबोल बोलणौ॥

जुड़्योड़ा विसै