जाग रै तूं खेत रा किसान बेगो जाग रै।
जाग रै तूं फोज रा जुवान बेगो जाग रै॥
देखले हवा रो रुख टेम नै पीछाण ले
कुण परायो आपणो है जाण ले तूं जाण ले
ताण डोरां नैण रा ओ लाज आज राखणी
खून हो पसेव चाहे आब थांनै राखणी
जलम भोम आपणी गुमान बेगो जाग रै॥जाग रै॥
देखले तूं आज कै समाज की कुरीतियां
हो भलो ई देस रो सुरू करो सुरीतियां
हाथ में मसाल ले कमाल है किसो कर दिखायदे
है किसो सुराज राज खोलकर बतायदे
जगायदे चिराग आज ईमान बेगो जाग रै॥जाग रै॥
चिलचिलाती धूप आंधी में अंधेरी रात में
पलपलाती चमचमाती बीजळी बीं रात में
छान -झूपड़ा में सारी जिन्दगी गुजारतो
भागतो रैवै तूं सींव-खेत नै रूखाळतो
हाल तो बेहाल स्वाभिमान बेगो जाग रै॥जाग रै॥