क्यूं लागै नीं ठा
कीं तनै हुवै, तौ बता
आजकालै जाणै
भखावटै भखावटै
सूरज फूंतका-फूंतका हुयौ ऊगै
अर सिंझ्या रौ सिंझ्या
लीर्यां-लीर्यां हुय’र डूबै
काळजै हईड़ तौ उपड़ै
पण अरथ कीं निसरै?
फेर बै रा बै
तिरण लाग रैया
अकास में गीध
फेर बां रै लाम्बै परां सूं
नैतीजसी कोई लोइन्दौ?
फेर हाथ, पग, सीनौ
अर हुलियौ बैंतीज सी?
कीं तौ फूट—म्हारां भायला
दन्ताळी-सूर पाछी क्यूं
फाड़न लाग रैया है जमीन
अर क्यूं
काळिन्दर फणधारी
बांब्यां सूं खेतां में
पसारौ कर रैया है?
कीं तनै ठा हुवै तौ बता
कै थारै अर म्हारै
आगै अर लारै
कीं हुवणौ है—कीं चाईजै
तू ई म्हांरै दई
कीं तौ भींत सूं भचीड़ा खा
कीं तौ समझ
कीं तौ समझा
कीं तौ बोळ—म्हारा बीरा
क’ फेर तू
उडावतौ रैसी हाडा
क’ फेर तू
गिणती रैसी पाडा
या के और...
या भळै फेर...