फूलां सूं है नेह घणों

तो कांटां सूं यारी है!

म्हनैं खबर है, सगळी दुनियां

कितरी छळ-छन्दी है।

रई हकीकत तो अळघी पण

सपना तक बंदी है।

तो इण दुनियां में

हस-हस नैं जीणों लाचारी है।

फूलां सूं है नेह घणों

तो कांटां सूं यारी है!

सोवन वरणो अठै छळावो

सम्बंधां रा सांग भरै।

उणनैं आज जहर दै मारै

कालै जिणरी माँग भरै।

खा’नैं मार, मुळकतो रैणौ

दुनियांदारी है।

फूलां सूं है नेह घणों

तो कांटां सूं यारी है!

सीधो मारग सोधण तांई

रोज भटकता जावां हां।

इमरत-घट में हाथ घालियां

अठै हळाहल पावां हां।

सगळा विस्वास बावना

सगली साधां कंवारी है।

फूलां सूं है नेह घणों

तो कांटां सूं यारी है!

स्रोत
  • पोथी : सगळां री पीड़ा-मेघ ,
  • सिरजक : नैनमल जैन ,
  • प्रकाशक : कला प्रकासण, जालोर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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