केई बरसां पैली गांव में
डीगो घूँघटो काळी छींट रौ
घेरदार घाघरो'र टीकीदार काळो पोमचो
हाथां में चाँदी री आंटा आळी माठ्यां
अर पगां में कड़ला
नांव काळी जीजी
नांव लोक रौ दियोड़ौ कै जलम जात
कदैई ठा नी लागौ
उण रै बाखळ में पग मेलतांई
अणूंती सावचेती बरतीजती
नुंवी बहुआं अर अबोध टाबर
जिणां में इण नांव रौ घणौ डर घाल्योड़ौ हो
दौड़'र कोठार में लुक जावता
जठा तांई काळी जीजी नी जावती
वै बारै नी आवता
रावळा में पग दैवण रौ दोस हो
दोस री भरपाई वा आपरै धणी री कामड़ी री मार सूं करती
पाछी केई दिन काळी जीजी नी दीखती
पेट रौ दोस धान निठतौ
अर फेर रावळा में आवणौ पड़तो
धान रौ निठणौ
कामड़ी री मार तय ही
घणा दिना सूं सुण्यौ' कै
काळी जीजी मांदी पड़'र मरगी औखद रै बिसर
कोई उण री सुद नी ली
कारण कै काळी जीजी
आम लुगाई नी ही
डाकण ही मिनखां रै ठायोड़ी
म्है कदैई काळी जीजी रौ
उणियारौ नी जोयो
उणसूं बोलण री काठी मनाई ही।