चेत, चानणों आवै करसा,

काल पछै सुख आसी।

किरण किरण पर बैठ भरोसो

नुंआ गीत अब गासी।

जिकी धूळ पग नीचै आई

आसमान में छासी।

जिकी आँख झुक रोई झरझर,

खूंन आज बरसासी।

भुजा भुजा सूं मेळ निभायां,

हिझत होश जगावै।

डूबी आस तिरै आँसू पर,

रोया गीत हँसावै।

किस्मत खुली आज भुजबळ री,

भाग्य-लकीरां सोवै!

रात-दिवस श्रम करै मजूरी,

करम-चाँदड़ा रोवै!!

आँगळ-आँगळ मेल चढ्यो,

मन भीतर काळी छाया।

चाल-ढाल बेसुध दीखै है,

गळै पड़ी है माया।

अब माया रा गिण्या-मिण्या दिन,

बूंद पसीनो पीवै।

बज्जर छाती, सेली खावै,

हँस-हँस जीवण जीवै।

स्रोत
  • पोथी : किरत्याँ ,
  • सिरजक : मेघराज मुकुल ,
  • प्रकाशक : अनुपम प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै