अबकाळै बैरण

पाछली हवा

फगत पाणी भर्‌योड़ा

बादळ ईज

नीं लेयगी ही पाछा

साथै लेयगी ही

नाथै काकै रो काकी सूं

खळौ कढतै पांण

छात पक्की कराणै रो कौल

साथै लेयगी ही

बंशी भाईजी री

मोभण बेटी री

चंवरी री अगन

अबकै ही परणीज’र आई

लाधू री जोड़ायत री

मैंदी री महक

बडोड़ी मां री

किसनियै री भणाई सारू

अडाणै धर्‌योड़ी टूम

राजियै री दूध ढोवण सारू

किस्तां पर लियोड़ी

मोटरसाइकल

अर बापूजी रै स्यांत हुयां पछै

औसर करण सारू

साहूकार कनै धर्‌योड़ा

म्हारी पांती री जमीन रा कागद भी

पण मौसम विभाग बतावै

कै पाछली हवावां

फगत पाणी भरर्‌योड़ा बादळ

उडायनै लेयगी।

स्रोत
  • पोथी : ऊरमा रा अैनांण ,
  • सिरजक : आशीष पुरोहित ,
  • संपादक : हरीश बी. शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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